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यह तो ऐसा ही है इसे कोई नहीं बदल सकता ?

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यह तो ऐसा ही है इसे कोई नहीं बदल सकता ?


दुष्ट  है पापी है  विकारी है सब को सदा ही दुःख देता है 

ये कभी नहीं बदल सकता 



बहुत बार हम किसी आत्मा के बारे में हम   ऐसी  

धारणा बना लेते है 



आप instant किसी भी आत्मा पर उनके कर्म के according कोई भी stamp नहीं लगाओ…, अर्थात यह पागल है, यह ठीक नहीं हो सकता, यह धोखेबाज़ है या यह विकारी है…।आपके अन्दर हर तरह की आत्मा के लिए, सूक्ष्म रीति स्नेह और सहयोग देने की भावना हो, ताकि वो अपना हिसाब-किताब सहज रीति चुक्तु कर अपनी मंज़िल पर पहुँच सके…।*

इस तरह किसी भी आत्मा के बारे में आपके अन्दर संकल्प ना आये, क्योंकि यह हिसाब-किताब clear करने का कहो या climax period कहो, ऐसा समय होने के कारण आत्मायें भिन्न-भिन्न part play कर रही हैं…। चाहे वो अन्दर खाते ,(internally) ऐसी नहीं हैं…।

देखो, बाप भी तो आपकी सारी कर्म कहानी जानता था। 



फिर भी बाप ने आप बच्चों को भी पहचान, आप बच्चों को पढ़ाना शुरू किया … क्योंकि बाप जानता था कि बच्चों पर समय और वातावरण का प्रभाव है। साथ ही साथ इन्हें हर तरह से अनुभवी मूर्त भी बनना है। इस कारण, बाप ने आपको अपनाया…।


देखो बच्चे, बाप त्रिकालदर्शी है। बाप सब जानता है, परन्तु साथ ही साथ बाप के अन्दर अर्थात् स्वभाविक ही बाप को हर बच्चे को देख रहम और प्रेम आता है … जिस कारण, बाप को बच्चे के कर्म ना दिख, उनके प्रति शुभ और कल्याण की भावना ही निकलती है…। जो बच्चों को आगे बढ़ाने के निमित्त बन जाती हैं।

इस तरह, हर आत्मा के बुरे कर्मों को जानते हुए भी आपकी पहली भावना रहम और कल्याण की हो, फिर उनके कर्मों को देखो…, क्योंकि पहले संकल्प का ही प्रभाव पड़ता है…। इसलिए बाप आपके natural स्वभाव को परिवर्तन करने की पढ़ाई आपको पढ़ा रहा है … और माया और प्रकृति भी indirect way से बाप की सहयोगी ही बन गई है। 


जिससे आप परिपक्व बनते जा रहे हो…।


" ग्लानी करने वाले को भी गुणमाला पहनाने वाले इष्ट देव, महान आत्मा भव "

जैसे आजकल आप विशेष आत्माओं का स्वागत करते समय कोई गले में स्थूल माला डालते हैं तो आप डालने वाले के गले में रिटर्न कर देते हो, ऐसे ग्लानि करने वाले को भी आप गुण-माला पहनाओ तो वह स्वत: ही आपको गुणमाला रिटर्न करेंगे क्योंकि ग्लानि करने वाले को गुणमाला पहनाना अर्थात् जन्म-जन्म के लिए भक्त निश्चित कर देना है। यह देना ही अनेक बार का लेना हो जाता है। यही विशेषता इष्ट देव, महान आत्मा बना देती है।
स्लोगन:- अपनी मन्सा वृत्ति सदा अच्छी पॉवरफुल बनाओ तो खराब भी अच्छा हो जायेगा।



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