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💐आज की (31.05.2020)अव्यक्त मुरली के मुख्य बिन्दु💐
रिवाइज: 18-01-86 मधुबन
रिवाइज: 18-01-86 मधुबन
1.मनसा सेवा के अभ्यास द्वारा मनसा शक्ति जमा करो। मनसा शक्ति ही अंत समय सेफ्टी का साधन बनेगी । रिटर्न्स के रूप में बाबा की एक्स्ट्रा मदद मिलेगी ओर आप पास विद ऑनर्स हो जाएंगे । कमजोरियां पश्चाताप के रूप में भूतों के मिसल अनुभव होंगी क्योंकि कमजोरी स्मृति में आने से भय, भूत की तरह अनुभव होगा ।
इसलिए अभी से बेहद की सेवा के लिए, स्वयं की सेफ्टी के लिए मन्सा शक्ति और निर्भयता की शक्ति जमा करो, तब ही अन्त सुहाना और बेहद के कार्य में सहयोगी बन बेहद के विश्व के राज्य अधिकारी बनेंगे।
2.बाबा (भगवान ) को सच्ची दिल एव साफ दिल वाले बच्चे पसंद है ,दुनिया के दिमागी पसन्द नहीं | दिल का आवाज दिल तक पहुँचता है, दिमाग का आवाज दिमाग तक पहुँचता है। कहते भी है सच्चे दिल पर साहेब राजी
3. “सफलता का आधार सदा सहनशक्ति और समाने की शक्ति है, इन विशेषताओं से सफलता सदा सहज और श्रेष्ठ अनुभव होगी।”
4. किसी भी कार्य में सफलता का आधार “निश्चय अटल और नशा सम्पन्न”। अगर निश्चय अटल है तो नशा स्वत: ही औरों को भी अनुभव होता है इसलिए निश्चय और नशा सफलता का आधार रहा। यह है उसका अनुभव। जैसे साकार बाप को सदा निश्चय और नशा रहा कि मैं भविष्य में विश्व महाराजन बना कि बना। ऐसे विश्वकिशोर को भी यह नशा रहा कि मैं पहले विश्व महाराजन का पहला प्रिन्स हूँ। यह नशा वर्तमान और भविष्य का अटल रहा।
5.सदा बाप और दादा की अंगुली पकड़ो या अंगुली दो। चाहे बच्चा बना के अंगुली पकड़ो, चाहे बाप बनाकर अंगुली दो। दोनों रूप से हर कदम में अंगुली पकड़ साथ का अनुभव कर चलना, यही सफलता का आधार है।
6.
अभी तो बहुत काम पड़ा है। आप समझ रहे हो कि पूरा हो रहा है। अभी तो वाणी द्वारा बदलने का कार्य चल रहा है। अभी वृत्ति द्वारा वृत्तियां बदलें, संकल्प द्वारा संकल्प बदल जाएं। अभी यह रिसर्च तो शुरू भी नहीं की है। थोड़ा-थोड़ा किया तो क्या हुआ। यह सूक्ष्म सेवा स्वत: ही कई कमजोरियों से पार कर देगी। जो समझते हैं कि यह कैसे होगा। वह जब इस सेवा में बिजी रहेंगे तो स्वत: ही वायुमण्डल ऐसा बनेगा जो अपनी कमजोरियाँ स्वयं को ही स्पष्ट अनुभव होंगी और वायुमण्डल के कारण स्वयं ही शर्मशार हो परिवर्तित हो जायेंगे।
7. सन्तुष्टता की सीट पर बैठकर परिस्थितियों का खेल देखने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।
8.अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह नई रिसर्च करने वाले अन्तर्मुखी भव
जब स्वयं में पहले सर्व अनुभव प्रत्यक्ष होंगे तब प्रत्यक्षता होगी – इसके लिए अन्तर्मुखी बन याद की यात्रा व हर प्राप्ति की गुह्यता में जाकर रिसर्च करो, संकल्प धारण करो और फिर उसका परिणाम वा सिद्धि देखो कि जो संकल्प किया वह सिद्ध हुआ या नहीं? ऐसे अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रहो जो महसूस हो कि यह सब कोई विशेष लगन में मगन इस संसार से उपराम हैं। कर्म करते योग की पावरफुल स्टेज में रहने का अभ्यास बढ़ाओ। जैसे वाणी में आने का अभ्यास है ऐसे रूहानियत में रहने का अभ्यास डालो।
5.सदा बाप और दादा की अंगुली पकड़ो या अंगुली दो। चाहे बच्चा बना के अंगुली पकड़ो, चाहे बाप बनाकर अंगुली दो। दोनों रूप से हर कदम में अंगुली पकड़ साथ का अनुभव कर चलना, यही सफलता का आधार है।
6.
अभी तो बहुत काम पड़ा है। आप समझ रहे हो कि पूरा हो रहा है। अभी तो वाणी द्वारा बदलने का कार्य चल रहा है। अभी वृत्ति द्वारा वृत्तियां बदलें, संकल्प द्वारा संकल्प बदल जाएं। अभी यह रिसर्च तो शुरू भी नहीं की है। थोड़ा-थोड़ा किया तो क्या हुआ। यह सूक्ष्म सेवा स्वत: ही कई कमजोरियों से पार कर देगी। जो समझते हैं कि यह कैसे होगा। वह जब इस सेवा में बिजी रहेंगे तो स्वत: ही वायुमण्डल ऐसा बनेगा जो अपनी कमजोरियाँ स्वयं को ही स्पष्ट अनुभव होंगी और वायुमण्डल के कारण स्वयं ही शर्मशार हो परिवर्तित हो जायेंगे।
7. सन्तुष्टता की सीट पर बैठकर परिस्थितियों का खेल देखने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।
8.अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह नई रिसर्च करने वाले अन्तर्मुखी भव
जब स्वयं में पहले सर्व अनुभव प्रत्यक्ष होंगे तब प्रत्यक्षता होगी – इसके लिए अन्तर्मुखी बन याद की यात्रा व हर प्राप्ति की गुह्यता में जाकर रिसर्च करो, संकल्प धारण करो और फिर उसका परिणाम वा सिद्धि देखो कि जो संकल्प किया वह सिद्ध हुआ या नहीं? ऐसे अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रहो जो महसूस हो कि यह सब कोई विशेष लगन में मगन इस संसार से उपराम हैं। कर्म करते योग की पावरफुल स्टेज में रहने का अभ्यास बढ़ाओ। जैसे वाणी में आने का अभ्यास है ऐसे रूहानियत में रहने का अभ्यास डालो।
App ka eiya prayas hum bahut lavanni honge, prayas chalate rohiye.
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