स्वयं को बिल्कुल अचल-अडोल स्थिति में स्थित रखना है, चाहे कोई पहाड़ जैसी परिस्थिति भी आये, तब भी…।
क्योंकि, परमात्मा आप बच्चों के संग है … कोई भी आप बच्चों का बाल बांका भी नहीं कर सकता…, तो परिस्थितियां आप बच्चों के आगे क्या चीज़ है…!
100% समर्पण बुद्धि वाले बच्चों के साथ बाप (परमात्मा शिव) का भी 100% promise है कि अन्त के समय में भी जब दुनिया हाहाकार में होगी, पर बाप के बच्चे मौज में होंगे…।
स्वयं भगवान आकर थोड़े से थोड़े, उसमें भी थोड़े से बच्चों को विशेष पालना भी देता है और विशेष स्नेह, सहयोग और शक्ति भी…।
वो बच्चे जो बाप-समान बच्चे बनते हैं … और वो बच्चे ही बाप के;
• मस्तकमणी,
• दिलतख्तनशीन,
• नूरे-रत्न बच्चे हैं,
• बाप की आशाओं को पूरा करने वाले बच्चे हैं…।
स्वयं भगवान आकर थोड़े से थोड़े, उसमें भी थोड़े से बच्चों को विशेष पालना भी देता है और विशेष स्नेह, सहयोग और शक्ति भी…।
वो बच्चे जो बाप-समान बच्चे बनते हैं … और वो बच्चे ही बाप के;
• मस्तकमणी,
• दिलतख्तनशीन,
• नूरे-रत्न बच्चे हैं,
• बाप की आशाओं को पूरा करने वाले बच्चे हैं…।
जिन बच्चों के साथ परमात्मा बाप है उनकी विजय, सारी कायनात मिलकर भी रोक नहीं सकती…!
*हर कार्य को सहज समझ और सहज ही मानकर करो। देखो, मेहनत और मुश्किल word तो बाप की dictionary अर्थात् मन-बुद्धि में भी नहीं है…! तो आप भी तो बाप-समान बच्चे हो…!*
मैं परमात्मा की सबसे चमकदार आत्मा हु तुम जानते हो हमको कोई देहधारी मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं। अशरीरी बाप शरीर में प्रवेश कर खास तुम बच्चों को पढ़ाने आये हैं, यह किसको भी मालूम नहीं कि भगवान आकर पढ़ाते हैं। तुम जानते हो हम भगवान के बच्चे हैं, वह हमको पढ़ाते हैं, वही ज्ञान के सागर हैं। शिवबाबा के सम्मुख तुम बैठे हो। आत्मायें और परमात्मा अभी ही मिलते हैं, यह भूलो मत।
*हर कार्य को सहज समझ और सहज ही मानकर करो। देखो, मेहनत और मुश्किल word तो बाप की dictionary अर्थात् मन-बुद्धि में भी नहीं है…! तो आप भी तो बाप-समान बच्चे हो…!*
मैं परमात्मा की सबसे चमकदार आत्मा हु तुम जानते हो हमको कोई देहधारी मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं। अशरीरी बाप शरीर में प्रवेश कर खास तुम बच्चों को पढ़ाने आये हैं, यह किसको भी मालूम नहीं कि भगवान आकर पढ़ाते हैं। तुम जानते हो हम भगवान के बच्चे हैं, वह हमको पढ़ाते हैं, वही ज्ञान के सागर हैं। शिवबाबा के सम्मुख तुम बैठे हो। आत्मायें और परमात्मा अभी ही मिलते हैं, यह भूलो मत।
जिनको भगवान पढ़ाते हैं उनको कितनी खुशी होनी चाहिए! यह खुशी स्थाई क्यों नहीं रहती?
परमधाम से आकर हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बच्चों पर कितनी मेहनत करते हैं। एकदम किचड़े से निकालते हैं। अभी तुम फूल बन रहे हो। जानते हो कल्प-कल्प हम ऐसे फूल (देवता) बनते हैं। मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार।
यह है ही छी-छी दुनिया। कितने मनुष्य दु:खी हैं। कितने तो भूख मरते रहते हैं, कुछ भी सुख नहीं है। भल कितना भी धनवान है, तो भी यह अल्पकाल का सुख काग विष्टा समान है। इनको कहा जाता है विषय वैतरणी नदी। स्वर्ग में तो हम बहुत सुखी होंगे। अभी तुम सांवरे से गोरे बन रहे हो।
आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं। यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है। यह सभा अभी ही लगती है। आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना! यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है। बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है? हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है। यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी? बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है। जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है। उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं। तो बताओ आपको क्या पसन्द है? लाइट या बोझ? अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं। आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना! देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।
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