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What is spritual energy ? We are losing our real peace and prosperity

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Spritual energy is Most powerful energy in the universe and the God is the powerhouse of this energy.


We all are not beings but spiritual beings or spiritual lights .





इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य हमारी  लुप्त हो रही आध्यात्मिक शिक्षा को  पुनर्जीवित  करना है ताकि फिर से जीवन मूल्य आधारित श्रेष्ठ समाज की स्थापना हो सके । इसको जीवंत रखना और अपनाना हमारा गौरव है । अध्यात्म माना आत्मिक ज्ञान । 
बिना आत्मिक ज्ञान के मनुष्य आज कल अमानवीय व्यवहार व आचरण करने लगा है ।

अगर आप भी समाज को श्रेस्ठ बनाना चाहते है तो आध्यत्म शिक्षा को अंधविश्वास न मानकर नीचे बताये वैज्ञानिक तथ्यो पर विचार करे ।

उन्नति व् विकास के लिए अध्यात्मिक शिक्षा   क्यों जरुरी है  ?

हमे सच्चा सुख व शांति क्यो नही अनुभव होता ??
 
जीवन मे  सफलता पाने व सब सुख के साधनों को पा लेने के बाद भी अंदर में सदैव प्राप्तियों की अनुभूति क्यो नही होती ??

कंहा कमी रह गयी ???


अगर जीवन में ख़ुशी और शांति नहीं है तो आपकी  सफलता का कोई  मायना नहीं है |

लोग अभी भी आध्यात्मिकता को अंध विश्वास समझते है |

इसके लिए  हम समझते है विज्ञानं को |

विज्ञानं का सबसे बड़ा अविष्कार बिजली का  अविष्कार  है | 

हमारे जीवन  में प्रयोग की जाने वाली सभी भौतिक वस्तुए  लाइट द्वारा ही  चलती है बिना लाइट या एनर्जी के  इनका होना व्यर्थ है |

कल्पना करे यदि  बिजली  सदा के लिए चली जाये तो हमारे जीवन का क्या  हाल होगा ?

हमारा जीवन  अस्त व्यस्त हो जायेगा |  रोजमर्रा के  अधिकांश  काम बंद हो जायेंगे |

इससे स्पस्ट है की  बिना एनर्जी /लाइट /प्रकाश के भौतिक वस्तुओ का होना बेकार है |

एनर्जी  दिखाई नहीं देती  परन्तु सभी  भोतिक वस्तुओ को सजीव बना देती है |


इसी प्रकार हम समझते है की  जैसे आज कल इन्टरनेट का जमाना है |

सभी कार्य  इन्टरनेट(नेटवर्क) , मोबाइल  व् कंप्यूटर के बिन अधूरे है | 

आज कल बच्चो की पढाई , व्यापार्  एव बैंकिंग  सुविधाए भी  पूरी तरह से  इन्ही पर निर्भर है |

यंहा आप देखेंगे की यदि इन्टरनेट  या नेटवर्क बंद हो जाये तो मोबाइल , कंप्यूटर आदि का कोई महत्व नहीं रह जायेगा |

इसी प्रकार नेटवर्क  दिखाई नहीं देता पर यही  मोबाइल कंप्यूटर आदि को सजीव बना देता है |


तो आपने देखा की हमने यंहा दो अविष्कारों की चर्चा की लाइट एव नेटवर्क  जो दिखाई नहीं देते पर इनके  अभाव में मानव जीवन की कल्पना भी मुश्किल है | 

इससे हम समझ सकते है की  सभी भोतिक वस्तुओ  में जीवन देने वाली  ताकत  दिखाई नहीं देने वाली  शक्ति है  एनेर्जी  या  नेटवर्क | 
इसी प्रकार हम भी चेतन एनर्जी है जो इस भौतिक शरीर में उपस्थित है। हमारे बिना ये शरीर मिट्टी का पुतला मात्र है । और अपने आप को देह समझना  माना अपने को मिट्टी समझना है । अपने आपको भूत समझना है ।
शायद यही कारण है कि हमे रोशनी करना व देखना पसंद है । इसमें हमे उमंग खुशी व उत्साह के का अनुभव होता है । क्यो की हम अपने आप को भूल गए है । हमने अपने आप को देह समझ कर अपनी कद्र कम कर ली है । अपना आत्मविश्वास कम कर लिया है । इसलिए इसे पाने के लिए फिर से spritual energy को समझना होगा ।

We all are spiritual lights.

We are not beings but spiritual beings

हम जब तक शरीर मे रहती है शरीर के चारो ओर एक प्रकाश का चुंबकीय छेत्र /Aura बना रहता है जो हमारे संस्कारो व आंतरिक शक्तियों का दर्पण होता है। इसके बारे में आप विज्ञान में भी पढ़ सकते है । 
विज्ञान में इस एनर्जी फील्ड को देखने के विशेष कैमरे भी बने है। जिसमे इसे देखा व अध्ययन किया जा सकता है। इसमें विभिन्न रंगों का समावेश होता है जो हमारे विभिन्न विशेषताओं जैसे आत्मविश्वास, ईगो के स्तर, सहयोग, अंदर की शांति ,आनंद , संतुष्टि आदि को दिखाता है

Auras are the energetic filed surrounding the body of a living creature. The atmospheric colors of the aura indicate different moods or a reflection of the state of your being.

इसके बारे में वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते है



इंसान के मरने पर सभी कहते है  ईश्वर इस आत्मा को शांति दे पर समझते नही |
भौतिक वस्तुएं हमारे शरीर को आराम देती है । 


 💐 सुख , शांति, आनंद व प्रेम का अनुभव हमारा शरीर नही करता। परन्तु इनका अनुभव आत्मा करती है । 💐

💐ये ही कारण है कि आज मनुष्य कहता है मेरे पास बहुत बहुत धन दौलत, मान शान है पर (आत्मा का) अंदर में सच्चा सुख नही है । मेरी आत्मा में शांति नही है 💐


अगर शरीर और आत्मा दोनों को देखे तो आत्मा एक चेतन शक्ति है | जो इस शरीर को चलाती है |  

आत्मा वास्तव में एक चेतन एनर्जी है जो दिखाई नहीं देती है | 

पर इसके बिना मानव शरीर का कोई अस्तित्व नहीं है |  

💐ये चेतन शक्ति ही मानव को सजीव बनाती है| और इस चेतन शक्ति को जानना ही अध्यात्म विज्ञानं है |💐

जैसे शरीर मे रोगों का कारण विटामिन, मिनरल्स एव अन्य पोषक तत्वों की कमी है । वैसे ही आत्मा अपने आप को  भूल जाने के कारण अपने गुणों व शक्तियों को भूल जाती है ।


💐 हनुमान जी को श्राप मिला तो वो अपनी ताकत को भूल गए थे । पर याद दिलाने पर स्मृति आते ही समुन्दर लांघ कर पूरी लंका को जला देते है ।💐
ऐसे ही आत्मिक स्मृति जगने से हमे भी अपनी शक्तियों ओर गुणों का अहसास हो जाता है । 

💐आत्मा का स्वधर्म शांति है जबकि देह के धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई अन्य अन्य है ।💐
देह के धर्म की स्मृति से हम आपस में लड़ने लगते है जबकि आत्मिक स्मृति से हम एक पिता की सन्तान भाई भाई हो जाते है ।


💐आत्मा की स्मृति से हम अमर हो जाते है । क्योकि आत्मा एक चेतन एनर्जी है । देह की स्मृति से हम नश्वर बन जाते है हमे हर पल मौत का डर सताता है ।💐

💐आत्मा की स्मृति से हम परमात्मा के बच्चे है। तो सर्व शक्तिमान पिता की संतान बन जाते है । ओर हम अपने को शक्तिशाली अनुभव करते है💐

😢देह की स्मृति से हम अपने को  दीन हीन ओर कमजोर महसूस करते है। कोई कहता है में गरीब का बच्चा हु 
कोई कहता है मेरी किस्मत खराब है 😢





जैसे सामान्य विज्ञानं में हम बाहय जगत को जानते है |प्रकृति के रहस्यों को जानते है वेसे ही  आध्यत्मिक विज्ञान में हम अपने आप को जानते है । की हम ये पांच तत्वों का शरीर नही है चेतन आत्मा हैं । 

💐हम भौतिक वस्तुओं के समान नही है एक जीवंत शक्ति है। और विज्ञान में हमने पढ़ा है कि एनर्जी को न तो create कर सकते है न ही नष्ट कर सकते है । तो आध्यत्म में ये ही पढ़ते है आत्मा अजर अमर अविनाशी है ये कभी मरती नही है केवल एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है ।💐💐

जीवन मे अध्यात्म विज्ञान की जानकारी के अभाव के कारण हमें मशीन बना दिया है । 

जैसे मशीन चाहे कितनी भी महंगी हो पर उसे लाइट का प्रवाह कम हो जाये या कंहै वोल्टेज कम हो जाये तो वो अपनी क्षमता अनुसार काम नही कर पाती है । 

💐जब तक हम अध्यात्म से दूर रहते है  हमारी आत्मिक शक्तियों का विकास नही हों पाता । ये ऐसा है जैसे अगर कोई बच्चा बड़ा हो गया पर उसका दिमाग का विकास रुक जाए ।
 हम भी सब सुख सुविधा होते भी  परिस्थितियों में अपने को असहाय महसूस करते है । परमात्म प्यार के सुख से  वंचित होकर जैसे अनाथ हो जाते है 💐

Spritual energy को बढ़ा कर हम अपनी आत्मिक शक्तियों का जाग्रत कर सकते है । 


परमात्मा ही इस आध्यात्मिक ऊर्जा का power House है। अतः इसके के हमे उनको जानना ओर समझना अतिआवश्यक है।
भारत देश इस आध्यात्मिक शिक्षा के बल पर ही सदैव विश्व गुरु रहा है
 ।
पुरानी शिक्षा पद्दति में सामान्य शिक्षा के साथ अध्यात्म शिक्षा के समावेश था। इसी कारण सुख शांति आनंद की भर पुरता थी । 
पर अब इससे दूर होने के कारण भारत का  हाल खराब हो गया है।

अपने सामान्य जीवन मे थोड़ा समय परमात्मा की याद से हम फिर से भरपुर बन सकते है 

इस आर्टिकल में हमने जाना कि हम कौन है ।
We are divine spiritual beings

हम भगवान /ईश्वर/अल्लाह/खुद/रब/ वाहेगुरु के बनाये चमकते सितारे है। 
आत्मा रूपी चेतन शक्ति को अनुभव किया जा सकता है अगर आप इस को अनुभव करना चाहते है तो 5 मिनट एकांत में बैठकर  कर नीचे दिया गीत सुने । अपना  अनुभव कमेंट में लिखे ताकि इसका लाभ ओरो को भी मिले ।



वास्तव में आद्यात्मिक शिक्षा के बिना इंसान अंधे से सामान है जो कभी भी किसी परिस्थिति में हल चल में आकर गिर सकता है । 

आपको ये आर्टिकल कैसा लगा नीचे कमेंट लिख कर अवश्य बताये ।
आगे मै आपको परमात्मा का सत्य परिचय व उनसे spritual एनर्जी कैसे पाये बताऊंगा ।

 


 









 


Comments

  1. जयगुरुदेव
    *गूंजती वाणियां*
    मनुष्यों को काल भगवान ने बड़ी दया करके यह अनमोल मनुष्य शरीर दिया है परमात्मा को प्राप्त करने के लिए।तुम पाप पुण्य के नियम का पालन करते हुए भजन करो।मन को रोककर नियम से रोज साधना करो,इसे संसारी वस्तुओं एवं कामों में अधिक मत फंसाओ।तुम्हें जितनी जरूरत होगी वह चीज मिल जायेगी।दूसरों को दोष देना बंद कर दो।एक दिन वह काल भगवान अपना शरीर वापस ले लेगा।आत्मा ने अपने घर का पता बताने वाले स्वामी, गुरु से पूछा कि आप कहाँ से आए है,क्यों आए यह सब सारा भेद बताइए।
    स्वामी ने जवाब दिया कि मैं अनाम हूं मैंने अलख-अगम और सतलोक की रचना की।इन तीनों लोकों में मेरा ही रूप है मैंने अगम लोक में अगम पुरुष अलख लोक में अलख पुरूष और तीसरे सत्तलोक में सतपुरुष धारण किया है।उन्होंने।निरंजन को सहसदल कंवल और माया को झंझरी दीप में बिठाया।यहाँ से मशाला अपने लोक का और नीचे ब्रह्मा, बैकुण्ड,स्वर्ग एवं मृत्युलोक का तैयार किया।कहा नीचे के लोक में मेरी एक बूंद रहती है जिसे वेदांती ब्रह्मा कहते है।इसी एक बूंद का सारा पसारा है।इसके आगे कुछ नही।जिसने वेद लिखा।उसने कहा है कि आगे कुछ और हे परन्तु हमने नही देखा।*

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