बस attention देना है…,
• हल्के रहना है
• ना ही अलबेले होना है
और
• ना ही दिलशिकस्त
और
• ना ही हार खानी है…।
करना भी कुछ नहीं है – बस समर्पण हो जाओ…।
हर कमज़ोर संस्कार, संकल्प सबकुछ बाबा को बार-बार देने का पुरूषार्थ बढ़ाते जाओ। आपके इस पुरूषार्थ से ही बाप समय आने पर आपको बिल्कुल हल्का कर देगा और आपकी ऊँच प्रालब्ध भी बना देगा।
बाप को पहचान लिया तो फिर कोई बहाना नहीं देना है, पढ़ाई में लग जाना है, मुरली कभी मिस नहीं करनी है।
सवेरे-सवेरे उठ पैदल करते बाप को याद करो, आपस में यही मीठी रूहरिहान करो कि देखें कौन कितना समय बाबा को याद करता है, फिर अपना अनुभव सुनाओ।
बाप पर निश्चय रखो और स्वयं को 100% बाप हवाले कर अर्थात् बाप जहाँ बिठायें, जो खिलायें, बाबा आपकी मर्ज़ी … और अपनी मन-बुद्धि को बाप की याद में, बाप के प्यार में लगा दो।
बच्चे, बस अब बाप के एक-एक बोल पर निश्चय रखो।
इस समय आप तमोप्रधान दुनिया के according चलने वाली मन-बुद्धि की तरफ attention ना दे, बाप की बातों पर 100% निश्चय रख, खुशी-खुशी अर्थात् उमंग-उत्साह से आगे बढ़ो…।
आप बच्चों ने तो अभी तक त्याग और तपस्या ही की है, अब आपका बाप बस आपको आपकी seat पर set करने के बाद … तन, मन, धन, सम्बन्ध-सम्पर्क … किसी भी तरह की कोई भी problem आने ही नहीं देगा, क्योंकि आगे तो आनन्द ही आनन्द है…।
यह problems जो आपको अनुभव हो रही हैं, वो कुछ भी नहीं है। बस आपको अनुभवी मूर्त ही बना रही हैं … और साथ ही साथ, इस समय जो directions आपको बाप दे रहा है, उसे अपनी बुद्धि रूपी तिजोरी में सम्भाल लो, ताकि आप उसे आने वाले समय में सफलतापूर्वक use कर सको…।
बेहद का बाप आते ही तब हैं जब पुरानी दुनिया को नया बनाना होता है। पुरानी दुनिया का विनाश तो सामने खड़ा है। यह बहुत क्लीयर है। समय भी बरोबर वही है, अनेक धर्म भी हैं, सतयुग में होता ही एक धर्म है। यह भी तुम्हारी बुद्धि में है। तुम्हारे में भी कोई हैं जो निश्चय अजुन कर रहे हैं। अरे निश्चय करने में टाइम लगता है क्या। शरीर पर भी भरोसा थोड़ेही है, ज़रा भी चांस गँवाना नहीं चाहिए। किसकी तकदीर में नहीं है तो ज़रा भी बुद्धि में आता नहीं है।
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